कविताएं

डाँक्टर
भोलू भैया बने डाँक्टर,
जेब में रखा थर्मामीटर।
पहना लंबा कोट निराला,
और गले में डाला आला।
फिर परची पर लिखी दवाई,
पर उसको मैं न पढ़ पाई।