कविताएं

हलवाई
हलवाई की यही दुकान,
यहाँ मिलें मीठे पकवान।
गोल जलेबी और इमरती,
मुँह के अंदर पानी भरती।
बऱफी खाओ या रसगुल्ला,
खाकर करना है कुल्ला।