रमई काका

यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो

लरिकउनू बी0 ए0 पास किहिन, पुतहू का बैरू ककहरा ते।
वह करिया अच्छर भैंसि कहै, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो ।।

दिनु राति बिलइती बोली मा, उइ गिटपिट-गिटपिट बोलि रहे।
बहुरेवा सुनि-सुनि सिटपिटाति, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो ।।

लरिकऊ कहेनि वाटर दइद, बहुरेवा पाथन लइ आई।
यतने मा मचिगा भगमच्छरू, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो ।।

उइ अंगरेजी मा फूल कहा, वह गरगजु होइगै फूलि-फूलि।
उन डैमफूल कहि डाटि दीन, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो ।।

बनिगा भेाजन तब थरिया मा, उइ लाय धरे छूटी कांटा ।
डरि भागि बहुरिया चउका ते, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो ।।

लरिकऊ चले स्नान करै, जब साबुन का उइ सोपु कहा।
बहुरेवा लइकै सूपु चली, यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो ।।