रमई काका

अनमेल

घर मा महनामथु लाग रहै,
ककुवा अजगइबी द्याखौ तो।

घूंघट का दीन्हे बनोवास, उई महफिल मा लेक्चर झाड़ैं।
हम करिया अच्छरू जानी ना, ककुवा अजगइबी द्याखौ तो।।

हम कही नोनु उइ कहैं साल्ट, हम पानी उइ वाटरू ब्वालैं।
पाथर परिगे अक्किल मइंहां, ककुवा अजगइबी द्याखौ तो।।

हम का नोनु दइ देव तनिकु, उइ बक्का अस मुहुं बाय दिहिनि।
हम बिना न्वान के धमकि गयन, ककुवा अजगइबी द्याखौ तो।।

हम कहा तनिक चकिय पीसौ, उइ बइठी लइ सिंगार दानु।
मुंह किहिनि चैथि का करवा अस, ककुवा अजगइबी द्याखौ तो।।

हम कहा पनेथी मोटि चही, उइ बेलि-बेलि सब बेलि दिहिनि।
ई हड्डी पसुरी निकरि परीं, ककुवा अजगइबी द्याखौ तो।।

हम भुसु अस फांके डहंकि देइ, उइ भरकि भुकिरि भागैं बाहर,
ना द्याखैं को है ससुर जेठु, ककुवा अजगइबी द्याखौ तो।।