बीरबल औैर बेईमान अधिकारी
एक दिन बादशाह अकबर के एक अधिकारी ने कड़ाके की ठंडी में एक गरीब आदमी से शर्त लगाई। उसने गरीब आदमी से कहा, "यदि तुम तालाब के ठंडे पानी में रातभर खड़े रहो, तो मैं तुम्हें पचास अशर्फियाँ दूँगा। गरीब आदमी को पैसे की बहुत जरूरत थी।" इसलिए उसने यह शर्त मान ली।
दूसरे दिन शाम को उस गरीब आदमी ने तलाब के पानी में प्रवेश किया और पूरी रात पानी में ठिठुरता हुआ खड़ा रहा। अधिकारी ने उस पर निगरानी रखने के लिए पहरेदारों को लगा दिया था। प्रातःकाल होने पर पहरेदारों ने अधिकारी को बताया कि बेचारा गरीब आदमी पूरी रात ठिठुरता हुआ तालाब के पानी में खड़ा रहा था। पर अधिकारी की नीयत में खोट थी। वह उस गरीब को पचास अशर्फियाँ देना नहीं चाहता था।
जब वह गरीब आदमी अपना इनाम पाने के लिए अधिकारी के पास पहुँचा, तो उसने उससे पूछा, "क्या तालाब के पास कोई दीपक जल रहा था?"
हाँ, सरकार, गरीब आदमी ने जवाब दिया।
"क्या तुमने उस दीपक की ओर देखा था?"अधिकारी ने पूछा।
"हाँ, सरकार, मैं रातभर उसी को देखता रहा।" गरीब आदमी ने कहा। "अच्छा, तो यह बात है!" अधिकारी ने कहा, "तुम रातभर तालाब के पानी में इसलिए खड़े रह सके, क्योंकि तुम्हें उस दीपक से गर्मी मिलती रही।इसलिए तुम्हें इनाम माँगने का कोई अधिकार नहीं है। भाग जाओ!" इस प्रकार अधिकारी ने उस गरीब को डाँटकर भगा दिया।
गरीब आदमी इससे बहुत दुःखी हुआ। वह सहायता के लिए बीरबल के पास पहुँचा। बीरबल ने बड़े ध्यान से उसकी बात सुनी। उन्होंने उसे ढाढ़स बँधाते हुए कहा,"चिंता मत करो मित्र। मैं तुम्हें न्याय अवश्य दिलाऊँगा।" बीरबल के आश्वासन पर वह अपने घर चला गया।
दूसरे दिन बीरबल दरबार में नहीं गए। अकबर ने बीरबल का पता लगाने के लिए अपने सेवकों को उनके घर भेजा। सेवकों ने वापस आकर बादशाह से कहा, "महराज, बीरबल ने कहा है कि वे खिचड़ी पकाने मे व्यस्त हैं। खिचड़ी पकते ही वे दरबार में हाजिर हो जाएँगे।"
काफी समय बीत गया, पर बीरबल नहीं आए। बादशाह ने बीरबल को बुलाने के लिए दूसरे सेवक भेजे। उन्होंने भी लौट का वही संदेश दिया, जो पहलेवालों ने दिया था।
बीरबल का विचित्र जवाब सुनकर बादशाह को बहुत आश्चर्य हुआ। वे स्वयं बीरबल के घर पहुँच गए। बीरबल के घर के अहाते का दृश्य देखकर बादशाह चकित रह गए। बीरबल ने जमीनपर आग जला रखी थी और तीन ऊँचे बाँसों पर एक मिट्टी की हँडि़या बँधी हुई थी।
बादशाह ने कहा, "बीरबल, यह क्या बेवकूफी है? जमीन पर जल रही आग की आँच इतने ऊपर टंगी हँडि़या तक कैसे पहुँच सकती है?"
बीरबल ने जवाब दिया, "महाराज, यदि तालाब के पानी में खड़ा आदमी तालाब के पास के दीपक से गर्मी प्राप्त कर सकता है, तो जमीनपर जल रही आग की आँच से ऊपर बँधी यह हँडि़या क्यों नहीं गर्मी पा सकती?"
बादशाह ने बीरबल से कहा, "बीरबल पहेलियाँ मत बुझाओ। साफ-साफ कहो बात क्या है?" तब बीरबल ने बादशाह को बताया कि किस तरह उनके अधिकारी ने एक गरीब आदमी से शर्त लगाई थी और अब इनाम देने से वह मुकर रहा है।
बादशाह अकबर ने तुरंत अधिकारी तथा गरीब आदमी को बुलाया। दोनों पक्षों की बात सुनकर बादशाह ने उस अधिकारी को आदेश दिया, "तुम शर्त हार गए हो! इसलिए इसी वक्त इस आदमी को पचास अशर्फियाँ दे दो।"
अधिकारी को बादशाह का आदेश मानना पड़ा। उसने गरीब आदमी को तुरंत पचास अशर्फियाँ दे दीं। उस गरीब आदमी ने बादशाह और बीरबल का लाख-लाख शुक्रिया अदा किया।
शिक्षा -जैसे को तैसा।