अन्तरात्मा की आवाज को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम हिन्दीकीबिन्दी के माध्यम से विदेशों में बसे भारतीयों एवं अन्य हिन्दी भाषा प्रेमियों के लिए एक प्रयास है। हिन्दीकीबिन्दी के माध्यम से न केवल हिन्दी के प्रचार व प्रसार पर ध्यान केन्द्र्रित किया गया है बल्कि भारतीय संस्कृति को जीवन्त रखने के लिए निरन्तर कदम बढ़ाने की दिशा में हम कार्यरत हैं।
विदेशों में जाकर बस गये परिवारों को अपनी माटी से लगाव, पूर्वजों के प्रति आदर, संस्कृति के प्रति प्रेम एवं अपने स्वजनों से आत्मीयता को बनाए रखने के लिए हिन्दीकीबिन्दी को मनका की तरह पिरोया गया है! छोटे-छोटे बच्चों को जहां एक ओर प्रारंभिक हिन्दी ज्ञान की जानकारी स्वरों एवं वर्णमाला के माध्यम से दी गई है वहीं उनकी रूचि को ध्यान में रखते हुए चित्रों, कहानियों, आकारों के माध्यम से रूचिकर बनाया गया है। साथ ही साथ बड़ों के लिए सामाजिक परम्पराओं एवम संस्कारों को जीवित रखने की दिशा में प्रयास किए गये हैं।
बच्चों के लिए हास्य सामग्री, खेल, गीत, प्रश्नोत्तरी, लोक कथाएं एवं रूचिकर पाठ्यसामग्री जुटाने का प्रयास किया गया है और निरन्तर पाठकेंा के सुझाावों को ध्यान में रखते हुए किया जाता रहेगा।
कोई भी अन्य विदेशी भाषा सीखना ज्ञानवर्घन के लिए अच्छी बात है, परन्प्तु अपनी मातृभाषा, अपने संस्कार और अपने राष्ट्र पर गर्व करना चाहिए। इसी दिशा में विदेशों में रह रहे हमारे बच्चे अपने दादा-दादी, नाना-नानी से हिन्दी में बात कर सके और उनकी भावनाओं के साथ जुड़ सके, यही हमारा प्रयास है। हम अपने विभिन्न रीति-रिवाजों, तिथि-त्योहारों एवं परम्पराओं को बनाए रहें, ऐसा भी एक प्रयास है।
रूचिकर खाना एवं विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने को आसान करने की दिशा में शिवदुलारी की कलम से शीर्षक के माध्यम से इस समस्या को भी हमने छुआ हैे और आगे भी इसे बढ़ाते रहेंगे।
अन्त में, उपभोक्ताओं से भी आग्रह है कि वे हमारे इस प्रयासों में सहयोग प्रदान करें और फेसबुक या इमेल के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करते रहें एवं अपने सुझावों या प्रकाशनों के द्वारा हिन्दी के प्रगामी प्रयोग की दिशा में योगदान दें।