कविताएं

लीची
ये बिहार की मीठी लीची,
हमको लालू जी ने भेजी।
पतला छिलका भीतर नरमी,
इसको खाकर भागी गरमी।
गुच्छे के गुच्छे ले आना,
लेकिन गुठली मत खा जाना।