कविताएं

आलू
आलू कचालू बेटा कहाँ गये थे
बैंगन की टोकरी में सो रहे थे
बैंगन ने लात मारी रो रहे थे
मम्मी ने प्यार किया हंस रहे थे
पापा ने टाॅफी दी नाच रहे थे