कविताएं

बापू
बापू कितने प्यारे थे
बापू कितने न्यारे थे
जो कहते करके दिखलाते
वीर पुरूष वह सच्चे थे
नहीं झुके अंग्रेज के आगे
अपनी धुन के पक्के थे
उस्तादों के थे उस्ताद
पर बच्चों में बच्चे थे