बिधाता कै रचना अन्न देवता कचेहरी बरखोज बुढ़ऊ का बियाहु अनमेल यह छीछाल्यादरि द्याखौ तो तलब दिसासूर पहिलि नौकरी ध्वाखा साहेब ते भ्यांट