भजन

मैली चादर ओड़ के कैसे

मैली चादर ओड़ के कैसे, द्वार तुम्हारे आऊं |
हे पावन परमेश्वर मेरे , मन हीं मन शरमाऊं | |
मैली चादर ओड़ के ..........

तुने मुझको जग में भेजा , देकर निर्मल काया |
आकर के संसार में मैंने , इसमें दाग लगाया |
जन्म जन्म की मैली चादर , कैसे मैं दाग छुडाऊं | |
मैली चादर ओड़ के .........

इन पैरो से चलकर तेरे , द्वार कभी ना आया |
जहां-जहां हो पूजा तेरी , कभी ना शीश नवाया |
हे हरिद्वार मैं हार के आया , अब क्या हार पहनाऊ | |
मैली चादर ओड़ के .........

निर्मल वाणी पाकर तुझसे , गीत ना तेरे गाया |
नैन मूंद कर हे परमेश्वर , कभी ना ध्यान लगाया|
मन वीणा के तार हैं टूटे , अब क्या गीत सुनाऊं | |
मैली चादर ओड़ के ........